> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : एक सुंदर-सा सपना

शनिवार, 1 जून 2013

एक सुंदर-सा सपना




 

देखा मैंने एक सुंदर-सा सपना

पहाड़ी-नदी बह रही कल-कल

जल पी रहे थे किनारे हिरण

वन के पंछी करते किल्लोल

 

छोटा-सा एक गाँव बसा था  

सामने हरा-भरा मैदान फैला

भूरी, सफ़ेद, काली, चितकबरी

चरती गायें, बछड़े दिखाते कला

 

रंग-बिरंगे फूलों वाली बगिया

जिसके मध्य एक कच्चा घर

हर सुख-सुविधा से संपन्न

जिसमें रहता मेरा परिवार |

 

(c) हेमंत कुमार दुबे

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